बुधवार, 21 अप्रैल 2010

उपहार

एक बार राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की पुत्री उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन आई । साथ में उसका पुत्र भी था । कुछ देर राष्ट्रपति भवन में अपने माता-पिता के साथ ठहरने के पश्चात् जब वह विदा होने लगी तो बाबू राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी नाती को एक रूपया दिया । नाना के इस उपहार पर बाबू राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ । वह बोल पड़ी, ''आप इतने बड़े पद पर हैं, फिर भी अपने नाती को केवल यह तुच्छ उपहार दे रहे हैं।''
पत्नी की बात सुन कर राजेन्द्र प्रसाद बड़े सहज भाव से बोले, ''मैंने तो इसे एक रूपया दे दिया, लेकिन जितनी मेरी तनख्वाह है और जितने पूरे भारत में बच्चे हैं, अगर मैं सभी का एक-एक रूपया दूं तो क्या मेरी तनख्वाह से यह सब पूरा पड़ पाएगा?'' उनके इस विषय से उनकी पत्नी एकदम निरूत्तर हो गई और बेटी ने प्रसन्नतापूर्वक विदाई ली ।

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

गहरी नींद

गहरी नींद में सोते हुए नेपोलियन को उस के सेनापति ने मध्य रात्रि में जगाया और दक्षिणी मोरचे पर शत्रु द्वारा अचानक हमला किए जाने की खबर दी, नेपोलियन आंखें मलते हुए उठा और दीवार पर टंगे 34 नंबर के नकशे को उतारते हुए बोला, इस में बताए हुए तरीके के अनुसार काम करो।
सेनतापति चकित रह गया कि जिस हमले का उसे अनुमान तक न था, उस हमले की संभावना को नेपोलियन ने समय से पूर्व ही कैसे सोच लिया और कैसे उस का प्रतिकाल खोल लिया, सेनापति को आश्चर्यचकित देख कर नेपोलियन ने कहा, ''विचारशील लोग अच्छी से अच्छी आशा करते हैं, किन्तु बुरी से बुरी परिस्थिति के लिए भी तैयार रहते हैं, मेरी मनः स्थिति सदा ऐसी ही रही है, इसलिए मुझे विपति आने से पहले ही उस का अनुमान लगाने और उपाय सोचने में संकोच नहीं होता ।

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

उदारता

एक बार इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री लायड जार्ज सभा में अपने मंत्रिमंडल के कार्यों की तारीफ कर रहे थे । तभी एक विरोधी ने खड़े होकर जार्ज से कहा, ''आप तो शायद वहीं हैं, जिस के पिता गधे की गाड़ी चलाया करते थे ।''यह सुनकर सब हंसने लगे। तब जार्ज ने शांत स्वर में कहा,''दोस्तों, मेरे पिता वाकई गधे की गाड़ी चलाया करते होंगे । पर वह गाड़ी तो अब नहीं हैं । हां, यह गधा जरूर बच गया है ।'' इस पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा ।