रविवार, 24 अक्तूबर 2010

इंसानियत

विवेकानंद किशोरावस्था में व्यायाम के प्रति काफी रूचि रखते थे । वह प्रतिदिन व्यायामशाला जाया करते थे । एक बार वह व्यायामशाला में झूला लगा रहे थे, कि अचानक एक अंग्रेज नाविक ने उनसे और उनके दोस्तों से किसी बात पर झगड़ा शुरू कर दिया । अभी झगड़ा चल ही रहा था कि अचानक व्यायामशाला का एक खंभा अंग्रेज के सिर पर गिर पड़ा, जिससे उसका सिर फट गया और खून बहने लगा ।
खून देख कर अन्य किशोर तो डर गए पर विवेकानंद ने झट झगड़ा भुला दिया और मानसिक संतुलन खोए बिना अपनी कमीज फाड़ी, नाविक के घायल सिर पर पट्टी बांध दी और उसकी बगल में बैठ कर पंखा करने लगे । कुछ देर बाद अंग्रेज नाविक होश में आ गया, बाद में वह अंग्रेज विवेकानन्द का घनिष्ठ मित्र बन गया ।

शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

आत्मविश्वास

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद उस समय 11वीं कक्षा में पढ़ते थे । वह बहुत तीक्ष्ण बुद्धि के थे । उस समय देश पर अंग्रेजों का शासन था । राजेन्द्र प्रसाद जिस स्कूल में पढ़ रहे थे, वहां एक अंग्रेज शिक्षक था । जिसके जिम्मे 11वीं कक्षा के प्रश्न पत्र जांचने का काम था ।
जब परीक्षाफल घोषित हुआ तो इस शिक्षक ने प्रथम स्थान पर किसी अंग्रेज छात्रा का नाम घोषित किया । परीक्षाफल के अनुसार राजेन्द्र प्रसाद का बहुत मामूली स्थान था । अपना परीक्षापफल देखने के बाद राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक के पास जा कर बोले, ''सर, मेरा नाम प्रथम स्थान पर नहीं आया है । मेरा विश्वास है कि मुझे गलत स्थान दिया गया है ।'' प्रधानाध्यापक ने जाने क्या सोच कर उस आत्मविश्वासी किशोर के हल किए परचों की जांच की और पाया कि उस बालक ने वास्तव में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ।