शुक्रवार, 19 मार्च 2010

अक्लमंद

सम्राट जहांगीर अपने इन्साफ के लिए बहुत मशहूर थे । एक बार उनका नौकर उनके निकट खड़ा होकर गिलास में शराब डाल रहा था कि पता नहीं कैसे एक बूंद जहांगीर पर गिर गई । जहांगीर को बहुत गुस्सा आया । उसी आवेश में उसने नौकर का सिर काटने का आदेश दे दिया ।
नौकर ने यह आदेश सुनकर पूरा गिलास जहांगीर पर उड़ेल दिया । अब तो वह और भी क्रोधित हो गया और बोला,'' तुमने इतनी हिम्मत कैसे की?'' नौकर ने शांत स्वर में कहा, जहांपनाहा, आप अपने इंसाफ के लिए बहुत मशहूर हैं । मैं नहीं चाहता कि लोग आरोप लगाएं कि एक बूंद शराब के लिए बादशाह ने सिर काटने का हुक्म दे दिया । मैं आपके इन्साफ पर दाग नहीं लगने देना चाहता । इसलिए मैंने यह गुस्ताखी की।'' जहांगीर नौकर की अक्लमंदी पर दंग रह गया । उसने उसे बहुत-सा इनाम दिया और अपने विश्वासपात्रों में शमिल कर लिया ।

मंगलवार, 9 मार्च 2010

देश प्रेम

एक बार सरदार किशन सिंह ने अपने खेत में आम के कुछ पौधे लगाए थे। एक दिन वह अपने 3-4 साल के लड़के को साथ लेकर पौधों का मुआयना कर रहे थे । लड़का वहीं खेलने लगा । खेलते-खेलते उसने मिट्टी में कुछ गाड़ा और 2-4 पौधे खड़े कर दिए । यह देख कर पिता ने पूछा, ''यह क्या कर रहे हो ?'' बेटे ने जवाब दिया,'' बदूकें बो रहा हूं, जब ये आप के आमों की तरह बड़ी हो जाएंगी तो इनसे अंग्रेंजो को मारूंगा ।''
यही बालक बाद में सरदार भगत सिंह बना, जिसने अपने जीते जी कभी अंग्रेंजो को चैन से नहीं सोने दिया ।

अपराध

मुगल बादशाह बहादुरशाह जफ़र अंग्रेजों की कैद में अपने जीवन के अंतिम दिन बड़े कष्ट से बिता रहे थे । एक बार एक व्यक्ति उनसे मिलने आया। उसने बादशाह से कहा, ''आप को जो कष्ट दिए जा रहे हैं, आप उसकी शिकायत क्यों नहीं करते ?''
उन्होंने दुःख भरे स्वर में जवाब दिया, ''मेरी यही सजा है क्योंकि बादशाह होने के नाते में देश का पहरेदार था । फिर भी मैं आराम की नींद सोता रहा । समय रहते न तो मैं जागा और न ही दुश्मन को ललकारा, इससे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है ?''