हजरत अली के पास एक नौकर था । एक दिन वह किसी बात पर अपने मालिक से नाराज हो गया और नौकरी छोड़ कर चला गया । कुछ दिनों बाद हजरत अली जब मस्जिद में नमाज पढ़ने गए तो नौकर भी चुपचाप उनके पीछे-पीछे वहां पहुंचा और तलवार निकाल कर उन पर वार कर दिया । हजरत अली को काफी चोट आई । कुछ लोगों ने उन्हें उठाया और उपचार करने लगे तथा कुछ लोगों ने दौड़ कर उस नौकर को पकड़ लिया | वे उसे हजरत अली के सामने ले आए । इतने में हजरत अली को प्यास लगी । उन्होंने पानी मांगा, लोग दौड़े गए और शरबत ले आए। गिलास में जब शरबत हजरत अली के सामने पेश किया गया तो उन्होंने नौकर की ओर इशारा करके कहा- ''मुझे नहीं, पहले इसे पिलाओ, देखते नहीं, कितना थक गया है, कितनी बुरी तरह हांफ रहा है ।''
लोगों ने नौकर की ओर गिलास बढ़ाया । उसकी आंखों से आंसू बहने लगे । हजरत अली ने बड़े प्यार से कहा- ''भाई, रोओ मत । गलती हम सब से हो जाती है। शरबत पी लो ।''
नौकर उनके पैरों पर गिर पड़ा और अपने किए की माफी मांगने लगा । हजरत अली ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- ''मेरे प्यारे भाई, जो अपनी गलती को जान लेता है और भविष्य में गलती न करने का फैसला कर लेता है, वह जिंदगी में बहुत उंचा उठ जाता है ।
6 टिप्पणियां:
sahi bahut prernadayak kahani.
प्रेरणास्पद कहानी
सुन्दर एवं शिक्षाप्रद कहानी के लिए आभार.....
आभार इस प्रेरणादयक कथा के लिए.
प्रेरणादायक कहानी ....
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
urja de gayee aapaki kahani .....sundar
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