एक बार सरदार किशन सिंह ने अपने खेत में आम के कुछ पौधे लगाए थे। एक दिन वह अपने 3-4 साल के लड़के को साथ लेकर पौधों का मुआयना कर रहे थे । लड़का वहीं खेलने लगा । खेलते-खेलते उसने मिट्टी में कुछ गाड़ा और 2-4 पौधे खड़े कर दिए । यह देख कर पिता ने पूछा, ''यह क्या कर रहे हो ?'' बेटे ने जवाब दिया,'' बदूकें बो रहा हूं, जब ये आप के आमों की तरह बड़ी हो जाएंगी तो इनसे अंग्रेंजो को मारूंगा ।''
यही बालक बाद में सरदार भगत सिंह बना, जिसने अपने जीते जी कभी अंग्रेंजो को चैन से नहीं सोने दिया ।
यही बालक बाद में सरदार भगत सिंह बना, जिसने अपने जीते जी कभी अंग्रेंजो को चैन से नहीं सोने दिया ।
5 टिप्पणियां:
प्रेरणा
वाह्! इसे कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख जाना...शहीद-ए-अजम भगत सिँह पर ये कहावत बिल्कुल फिट बैठती है!
बहुत बढिया!
मुझे यह बात कहनी नहीं चाहिए, लेकिन दुखी-हर्दय से कह रहा हूँ.
"आज सब लोग भगत सिंह को चाहते तो जरूर हैं. लेकिन, ये चाहते हैं कि-भगत सिंह पडोसी या किसी और के घर पैदा हो. नाकि खुद के घर में पैदा हो.
यही देश का दुर्भाग्य हैं.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
सही कहा चन्द्र कुमार सोनी जी ने लोग अपनी गाड़ियों पर भगत सिंह की फोटो लगा के फिरते हैं सरकारी दफ्तरों में लोग तिरंगा अपने टेबल पर रखते हैं उन लोगों को सही मायने में इन दोनों का अर्थ आज तक किसी ने सिखाय ही नहीं तो वो क्या जाने
काश वो इनका मतलब समाज सकें इतनी सद्बुबुद्दी डे दो भगवान
www.krantikarideshsevak.blogspot.com
jo bhi is ka matlab samjta hai krpya contact kare - 9268461610
jo bhi un ke trha kuch karna chata hai contact kare baate karne se kuch nahi hota jo bhagat singh ji ne kiya wo hum bhi kar sakte hai 16 augst ko hum sab ko anna hazare ji ke sath kadha hona hai
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