आल्सिबाइडिस एक संपन्न जमींदार था । उसे अपनी संपत्ति और जागीर पर बड़ा गर्व था । एक दिन उसने सुकरात के पास जा कर अपने ऐश्वर्य का वर्णन करना आरंभ कर दिया । सुकरात चुपचाप उस की बात सुनता रहा । थोड़ी देर बाद उसने पृथ्वी का एक नक्शा मंगवाया । वह नक्शा फैला कर जमींदार से बोला,'' इस में अपना यूनान देश कहां हैं ?'' यह रहा यूनान| जमींदार ने नक्शे पर एक स्थान पर उंगली रखते हुए कहा। और अपना ऐटिका प्रांत कहां है ? सुकरात ने पूछा । जमींदार अपने छोटे से प्रांत को बड़ी कठिनाई से ढूंढ सका । सुकरात ने उस से फिर पूछा-इसमें आपकी जागीर कहां है?नक्शे में इतनी छोटी जागीर कैसे दिखाई जा सकती है ? जमींदार बोला । इस पर सुकरात ने कहा, भाई, जिस भूमि के लिए इतने बड़े नक्शे में एक बिंदु भी नहीं रखा जा सकता, उस थोड़ी सी भूमि पर तुम गर्व करते हो ? इस पूरे ब्रह्मांड में तुम्हारी भूमि और तुम कहां हो, कितने बड़े हो ? जरा यह सोचो | फिर यह गर्व किस बात पर ?
2 टिप्पणियां:
धन्य सुकरात। औकात बता दी।
शायद हम सब में ही कहीं न कहीं एक आल्सिबाइडिस छुपा हुआ है...... प्रेरक प्रसंग के लिए आपका आभार।
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