सरदार वल्लभ भाई पटेल फौजदारी के प्रसिद्ध वकील थे । एक बार वह फौजदारी के एक मामले में अदालत में पैरवी कर रहे थे । मामला संगीन था और उनकी जरा-सी असावधानी अभियुक्त को फांसी दिला सकती थी । वह गंभीरतापूर्वक अपने तर्क दे रहे थे । तभी किसी ने उनके नाम का एक तार लाकर उन्हें थमा दिया । उन्होंने तार खोला, पढ़ा और मोड़ कर जेब में रख लिया । फिर उन्होंने उसी तन्मयता से बहस शुरू कर दी ।
अदालत का समय समाप्त हुआ तो वह लपक कर बाहर की तरफ चल दिए । तभी साथी वकील ने तेजी से पास आकर उनसे तार के बारे में पूछा तो वह बोले, ''मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई है । उसी की सूचना थी ।'' साथी ने कहा, ''इतनी बड़ी घटना घट गई और तुम बहस करते रहे ।'' वल्लभ भाई का उत्तर था, ''और क्या करता ?'' वह तो चली गई क्या अभियुक्त को भी चला जाने देता ?'' ऎसे थे लौह-पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल।
अदालत का समय समाप्त हुआ तो वह लपक कर बाहर की तरफ चल दिए । तभी साथी वकील ने तेजी से पास आकर उनसे तार के बारे में पूछा तो वह बोले, ''मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई है । उसी की सूचना थी ।'' साथी ने कहा, ''इतनी बड़ी घटना घट गई और तुम बहस करते रहे ।'' वल्लभ भाई का उत्तर था, ''और क्या करता ?'' वह तो चली गई क्या अभियुक्त को भी चला जाने देता ?'' ऎसे थे लौह-पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल।