नेताजी सुभाषचंद्र बोस किसी गोष्ठी में व्याख्यान दे रहे थे, तभी बेशुमार भीड़ में से विरोधी पार्टी के किसी आदमी ने उन पर एक जूता फेंक दिया| नेताजी ने जूते की तरफ संकेत करते हुए कहा, ''जिस सज्जन ने इसे फेंका है, वह कृपया इसके साथ का जूता भी फेंक दें| वरना यह बेकार हो जाएगा ।'' फिर जूते को संभालते हुए उन्होंने आगे कहा,''अपने देश के लिए तुम्हारी यह भेंट मैं सदा याद रखूंगा ।
मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
रविवार, 27 दिसंबर 2009
विद्वता
एक बार स्वामी विवेकानंद काशी में थे । वहां उनकी विद्वता की चर्चा बहुत फैल गई थी । अनेक लोगों ने उनसे अनेक कठिन प्रश्न किए थे । जिन का जवाब उन्होंने ऐसा दिया कि सब ने उनकी विद्वता का लोहा मान लिया था। एक दिन एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, ''संत कबीर दास जी ने दाढ़ी क्यों रखी थी।'' स्वामी जी ने उत्तर दिया, ''भाई , अगर वह दाढ़ी नहीं रखते तो आप पूछते कि कबीर दास जी ने दाढ़ी क्यों नहीं रखी ।'' यह जवाब सुनकर वह व्यक्ति लज्जित होकर चुपचाप वहां से खिसक गया ।
रविवार, 20 दिसंबर 2009
श्रेष्ठ
महात्मा गांधी दांडी यात्रा के दौरान एक स्थान पर कुछ देर के लिए रूके। जब वह जाने को हुए तो एक अंग्रेज उनसे मिलने आया । वह गांधी जी का प्रशंसक भी था । उसने गांधी जी को संबोधित करते हुए कहा, ''हैलो, मेरा नाम वाकर है।'' महात्मा गांधी उस समय जल्दी में थे, इसलिए उन्होंने विनम्रता से कहा, ''मैं भी वाकर हूं और अपनी राह को चल दिए |'' रास्ते में एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, '' यदि आप उनसे थोड़ी देर बात कर लेते तो आप का नाम अंग्रेजों के अखबार में छपता और आप को काफी सम्मान मिलता ।'' उन्होंने उत्तर दिया,'' मैं समय को सम्मान से श्रेष्ठ मानता हूं |
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