हिन्दी दिवस के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रसिद्ध हिंदी कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ शांतिनिकेतन में अपना अध्ययन समाप्त कर जब वापस लौटने लगे तो उन्होंने संस्था के मुख्य आचार्य क्षितिमोहन सेन से आशीर्वाद मांगने के लिए उनके पांव छुए । आचार्य ने पीठ पर हाथ रखकर कहा ,'' तुम कभी सफल न बनना ।'' ‘सुमन’ इस बात से भौंचक्के रह गए । उन्होंने सोचा, ''शायद मुझ से कोई गलती हो गई, जिससे गुरुजी क्रुद्ध हो गए ।'' साहस करके उन्होंने पूछा, ''गुरुजी, मुझ से क्या अपराध हुआ है ?'' आचार्य बोले, ''देखो, हर वर्ष लाखों लोग सफल होते हैं, लेकिन उनमें काई एकाध् ही सार्थक हो पाता है ।'' इसलिए मेरी इच्छा है कि तुम सार्थक बनो ।''