एक दिन पुस्तकों की एक दुकान पर एक ग्राहक आया । कुछ देर तक पुस्तकों को देखने के बाद उसने दुकान के एक कर्मचारी से पूछा, ''इस पुस्तक की क्या कीमत है ?'' उत्तर मिला,''एक डालर''। ''कुछ कम नहीं हो सकता ?''''नहीं,'' दुकान के कर्मचारी ने स्पष्ट कह दिया । ग्राहक थोड़ी देर तक अन्य पुस्तकों को देखता रहा, फिर उस कर्मचारी से पूछा, ''क्या आप दुकान के मालिक को बुला सकते हैं ? मैं उन से मिलना चाहता हूं ।''
दुकान के मालिक के आने पर ग्राहक ने उससे पूछा, ''इस पुस्तक को आप कम से कम किस कीमत पर दे सकते हैं ?'' उत्तर मिला, ''सवा डालर ।'' ग्राहक आश्चर्य चकित रह गया । उसने कहा, ''पर अभी तो आप का कर्मचारी इस की कीमत एक डालर बता रहा था ।''''जी हां, जरूर बता रहा होगा । बाकी मेरे समय की कीमत है ।''अच्छा, जो भी कीमत आप ने लेनी हो, वह अंतिम बार बता दीजिए,'' ग्राहक बोला । ''अब डेढ़ डालर । आप जितनी देर करते जाएंगे, उतनी ही कीमत बढ़ती जाएगी, क्योंकि समय का मूल्य भी इस के साथ जुड़ जाएगा ।'' ग्राहक के पास अब कोई चारा न था । वह एक के बदले डेढ़ डालर दे कर पुस्तक खरीद कर ले गया । साथ ही उसे समय का मूल्य भी ज्ञात हो गया । समय का मूल्य बताने वाले दुकान के यह मालिक थे । बेंजामिन फ्रेंकलिन, जो बाद में अमरीका के प्रख्यात आविष्कारक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक बने ।
रविवार, 26 दिसंबर 2010
रविवार, 19 दिसंबर 2010
आत्म समीक्षा
डेनमार्क के मशहूर मूर्तिकार थोबीडन अपने समय के अद्वितीय कलाकार थे। एक दिन एक सभा में उसके एक प्रशंसक ने पूछा, ''जनाब आपने किस गुरु से यह मूर्तिकला सीखी और किस विद्यालय से प्रवीणता प्राप्त की।''
थोबीडन मुस्कराए व बोले, '' आत्मसुधार मेरा विद्यालय है और आत्मसमीक्षा मेरा गुरु । मैंने सदैव अपनी कृतियों में त्रुटि खोजी और अधिक उपयुक्त बनाने के लिए जो समझ में आया, उसे अविलंब अपनाया । यही कारण है कि आज मैं सपफलता के इस उच्च शिखर तक पहुंच सका हूं।''
थोबीडन मुस्कराए व बोले, '' आत्मसुधार मेरा विद्यालय है और आत्मसमीक्षा मेरा गुरु । मैंने सदैव अपनी कृतियों में त्रुटि खोजी और अधिक उपयुक्त बनाने के लिए जो समझ में आया, उसे अविलंब अपनाया । यही कारण है कि आज मैं सपफलता के इस उच्च शिखर तक पहुंच सका हूं।''
सदस्यता लें
संदेश (Atom)