रविवार, 25 अक्टूबर 2009

कर्त्तव्य

भारतीय इंजीनियरों के पितामह डॉक्टर विश्वेश्वरैया हमेशा निष्पक्ष ढंग से कार्य करते थे । एक बार जब वह मैसूर रियासत के दीवान थे तो किसी गांव में उनका कैंप लगा । एक दिन वहां काम करते वक्त उन की उंगलियों में चोट लग गई । गांव के डॉक्टर ने उचित रूप से मरहमपट्टी की । विश्वेश्वरैया ने 25 रूपए का चैक फीस के रूप में डॉक्टर को दे दिया । चैक को लौटाते हुए डॉक्टर बोला, ''मेरा सौभाग्य है कि आप की सेवा करने का मुझे अवसर मिला। इस पर विश्वेश्वैरया उस डॉक्टर पर बिगड़े और बोले, ''हर मरीज की सेवा करने का मौका आप का सौभाग्य है, आप को ऐसा महसूस करना चाहिए, जो लोग पैसा दे सकते हैं, उनसे लेना चाहिए ताकि जो लोग पैसा नहीं दे सकते उन से लेने की लालसा आप में न रहे। आप ने अपना कर्त्तव्य किया कृपया मुझे अपना कर्त्तव्य करने दें ।''

1 टिप्पणी:

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

mujhe aapki yeh post pasand aayi. i liked it too.
desh bhar main cancer ki tareh failay bhrashtaachaar / rishwatkhori / curruption ko bhi isi tareh se rokaa jaa saktaa hain.
engineers ke hi nahi wey aam jan ke liye bhi iss maamle main aadarsh hain.

CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
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