शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

प्रसिद्ध लेखक

अंग्रेजों का जमाना था । अंग्रेज गवर्नर ने प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद को रायसाहब की उपाधि देने की घोषणा की। प्रेमचंद यह सुनकर परेशान हो गए । उनकी पत्नी ने कहा,'' इसमें परेशान होने की क्या बात है? जब उपाधि मिल रही है तो लेनी चाहिए ।''
प्रेमचंद ने कहा, ''अभी तक मैं जनता के लिए लिखता था । लेकिन फिर सरकार के पक्ष में लिखना होगा।''
उन्होंने गवर्नर को लिखा, ''मुझे जनता का रायसाहबी मंजूर है, सरकार का नहीं ।''

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

निश्चय

वल्लभ भाई पटेल का बचपन गांव में बीता था । वह जिस गांव में रहते थे, वहां कोई अंग्रेजी स्कूल नहीं था । इसलिए  अंग्रेजी पढ़ने वाले विद्यार्थी नित्य 10-11 किलोमीटर पैदल चल कर दूसरे गांव जाते थे । गर्मियों में सुबह 7 बजे स्कूल लगता था । इसलिए सूर्योदय से पहले ही घर से निकल कर खेतों से होते हुए जाना पड़ता था । एक खेत की मेड़ पर लगे पत्थर से अकसर किसी न किसी को ठोकरे लग जाती थी । एक दिन उसी खेती की मेड़ पार करने के बाद छात्रों की एक टोली ने देखा कि उनमें से एक साथी कम है । दरअसल वल्लभ भाई पटेल पीछे छूट गए थे । टोली मुड़ कर लौटी तो देखा कि वल्लभ भाई पटेल की खेत की मेड़ पर किसी चीज से जोर आजमाइश कर रहे हैं । साथियों ने आवाज दी, ''तुम पीछे क्यों रूक गए ?'' ''बस यह पत्थर हटा लूं ।'' वल्लभ भाई पटेल ने वह पत्थर हटाया और साथियों के साथ चलते हुए बोले, ''रास्ते के इस पत्थर से अकसर अड़चन पड़ती थी । अंधेरे में जाने कितनों के पैरों में चोटें आई होंगी । आते जाते चोट लगे और रूकावट पड़े, ऐसी चीज को हटा देने के सिवा कोई चारा नहीं । मैंने निश्चय किया था कि आज इसे हटा कर ही आगे बढूंगा । इसलिए रूक गया था ।''