विवेकानंद किशोरावस्था में व्यायाम के प्रति काफी रूचि रखते थे । वह प्रतिदिन व्यायामशाला जाया करते थे । एक बार वह व्यायामशाला में झूला लगा रहे थे, कि अचानक एक अंग्रेज नाविक ने उनसे और उनके दोस्तों से किसी बात पर झगड़ा शुरू कर दिया । अभी झगड़ा चल ही रहा था कि अचानक व्यायामशाला का एक खंभा अंग्रेज के सिर पर गिर पड़ा, जिससे उसका सिर फट गया और खून बहने लगा ।
खून देख कर अन्य किशोर तो डर गए पर विवेकानंद ने झट झगड़ा भुला दिया और मानसिक संतुलन खोए बिना अपनी कमीज फाड़ी, नाविक के घायल सिर पर पट्टी बांध दी और उसकी बगल में बैठ कर पंखा करने लगे । कुछ देर बाद अंग्रेज नाविक होश में आ गया, बाद में वह अंग्रेज विवेकानन्द का घनिष्ठ मित्र बन गया ।
खून देख कर अन्य किशोर तो डर गए पर विवेकानंद ने झट झगड़ा भुला दिया और मानसिक संतुलन खोए बिना अपनी कमीज फाड़ी, नाविक के घायल सिर पर पट्टी बांध दी और उसकी बगल में बैठ कर पंखा करने लगे । कुछ देर बाद अंग्रेज नाविक होश में आ गया, बाद में वह अंग्रेज विवेकानन्द का घनिष्ठ मित्र बन गया ।