भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद उस समय 11वीं कक्षा में पढ़ते थे । वह बहुत तीक्ष्ण बुद्धि के थे । उस समय देश पर अंग्रेजों का शासन था । राजेन्द्र प्रसाद जिस स्कूल में पढ़ रहे थे, वहां एक अंग्रेज शिक्षक था । जिसके जिम्मे 11वीं कक्षा के प्रश्न पत्र जांचने का काम था ।
जब परीक्षाफल घोषित हुआ तो इस शिक्षक ने प्रथम स्थान पर किसी अंग्रेज छात्रा का नाम घोषित किया । परीक्षाफल के अनुसार राजेन्द्र प्रसाद का बहुत मामूली स्थान था । अपना परीक्षापफल देखने के बाद राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक के पास जा कर बोले, ''सर, मेरा नाम प्रथम स्थान पर नहीं आया है । मेरा विश्वास है कि मुझे गलत स्थान दिया गया है ।'' प्रधानाध्यापक ने जाने क्या सोच कर उस आत्मविश्वासी किशोर के हल किए परचों की जांच की और पाया कि उस बालक ने वास्तव में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ।
2 टिप्पणियां:
nice.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
दिनेश जी,
बहुत प्रेरक पोस्ट्स आती हैं आपके ब्लॉग पर, लेकिन आती देर से हैं।
आभार स्वीकार करें।
एक टिप्पणी भेजें