विवेकानंद किशोरावस्था में व्यायाम के प्रति काफी रूचि रखते थे । वह प्रतिदिन व्यायामशाला जाया करते थे । एक बार वह व्यायामशाला में झूला लगा रहे थे, कि अचानक एक अंग्रेज नाविक ने उनसे और उनके दोस्तों से किसी बात पर झगड़ा शुरू कर दिया । अभी झगड़ा चल ही रहा था कि अचानक व्यायामशाला का एक खंभा अंग्रेज के सिर पर गिर पड़ा, जिससे उसका सिर फट गया और खून बहने लगा ।
खून देख कर अन्य किशोर तो डर गए पर विवेकानंद ने झट झगड़ा भुला दिया और मानसिक संतुलन खोए बिना अपनी कमीज फाड़ी, नाविक के घायल सिर पर पट्टी बांध दी और उसकी बगल में बैठ कर पंखा करने लगे । कुछ देर बाद अंग्रेज नाविक होश में आ गया, बाद में वह अंग्रेज विवेकानन्द का घनिष्ठ मित्र बन गया ।
खून देख कर अन्य किशोर तो डर गए पर विवेकानंद ने झट झगड़ा भुला दिया और मानसिक संतुलन खोए बिना अपनी कमीज फाड़ी, नाविक के घायल सिर पर पट्टी बांध दी और उसकी बगल में बैठ कर पंखा करने लगे । कुछ देर बाद अंग्रेज नाविक होश में आ गया, बाद में वह अंग्रेज विवेकानन्द का घनिष्ठ मित्र बन गया ।
5 टिप्पणियां:
अच्छा संस्मरण। विवेकानंद अपने आप में विलक्षण व्यक्तित्व थे।
महापुरुषों के जीवन के प्रेरक प्रसंगों से परिचय करवा कर आप एक सार्थक काम कर रहे हैं, बधाई स्वीकार करें।
संजय जी
आप से मित्रों की प्रतिक्रियाएं प्रगतिशील रहने की प्रेरणा देती हैं। आभार !
LIKED IT TOO MUCH.
THANKS.
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aj aapke blog par aana hua....kai post padhi... achha laga.... aisi prarnadayi baton ko yad rakhne aur jeevan me shamil karne ki bahut zaroorat hai aj ke daur me.... dhanywad
Really very very good effort to motivate and inspire todays generation
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