शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

सहिष्णुता

दीवाली  की  हार्दिक  शुभकामनाएं 
उन दिनों दिवंगत लाल बहादुर शास्त्री रेल मंत्री थे । एक बार वह रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे । प्रथम श्रेणी के डिब्बे में अपनी सीट पर एक बीमार व्यक्ति को लिटा कर, वह स्वयं तृतीय श्रेणी में जाकर उसकी बर्थ पर चादर ओढ़ कर लेट गए।थोड़ी देर में सो गए । कुछ समय बाद टिकट निरीक्षक आया और उन्हें सोता पाकर बुरा भला कहने लगा ।
लालबहादुर शास्त्री उसकी आवाज सुन कर जागे । जब उन्होंने टिकट निरीक्षक को अपना परिचयपत्र दिखाया तो टिकट निरीक्षक बुरी तरह घबरा गया। बोला, ''सर, आप और तीसरे दरजे में? आप चलिए, मैं आपको आपके डिब्बे में पहुंचा दूं।'' लेकिन वह मुस्कराते हुए बोले,''अरे भैया, मुझे तो नींद आ रही है।क्यों मेरी मीठी नींद खराब करते हो।'' वह फिर से चादर ओढ़ कर सो गए ।

1 टिप्पणी:

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

ये साधारण बातें ही उन्हें असाधारण बना गईं।
दिनेश जी, शुभ दीपावली।