एक दिन महात्मा बुद्ध का एक शिष्य उनके पास पहुंचा और बोला,''आज मैंने एक भिखारी को बुला कर बहुत देर तक उसे धर्म की शिक्षा दी, प्रेरक उपदेश दिए, परन्तु उस मूर्ख ने मेरी बातों पर कोई गौर नहीं किया ।''
शिष्य की बात सुन कर बुद्ध ने उसे भिखारी को बुला लाने को कहा । जब भिखारी दीनहीन अवस्था में आया तो बुद्ध ने उसे भर पेट खाना खिला कर प्रेमपूर्वक विदा कर दिया । इस पर उनके शिष्य ने आश्चर्य से पूछा,''आप ने उसे बिना कोई उपदेश दिए भेज दिया?'' इस पर बुद्ध बोले,''आज उसके लिए भोजन ही उपदेश था । उसे प्रवचन से ज्यादा अन्न की जरूरत थी । यही सच्चा उपदेश है ।'' यह सुन कर उनका शिष्य निरुत्तर हो गया ।
शिष्य की बात सुन कर बुद्ध ने उसे भिखारी को बुला लाने को कहा । जब भिखारी दीनहीन अवस्था में आया तो बुद्ध ने उसे भर पेट खाना खिला कर प्रेमपूर्वक विदा कर दिया । इस पर उनके शिष्य ने आश्चर्य से पूछा,''आप ने उसे बिना कोई उपदेश दिए भेज दिया?'' इस पर बुद्ध बोले,''आज उसके लिए भोजन ही उपदेश था । उसे प्रवचन से ज्यादा अन्न की जरूरत थी । यही सच्चा उपदेश है ।'' यह सुन कर उनका शिष्य निरुत्तर हो गया ।
3 टिप्पणियां:
सार्थक प्रवचन!
सार्थक...यही उसका प्रवचन भी था और ईश्वर भी/
Bhukhe bhajan n hoy gopal , Ann hi bramh hai, Bahut prerak prasang
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