फ्रांस की एक नदी में वर्षा के कारण बाढ़ आई हुई थी । शाम के वक्त लगभग 12 वर्ष का एक लड़का नदी के किनारे-किनारे चला जा रहा था । अचानक उसने देखा कि नदी के बांध में एक जगह छेद हो गया है और उसमें से पानी रिस रहा है । ‘इस तरह तो पूरा नगर पानी में डूब जाएगा|'' यह सोच कर उसने छेद वाली जगह पर भरपूर मिट्टी डाल दी । लेकिन पानी के अधिक वेग के कारण मिट्टी रूक नहीं सकी । उधर छेद बड़ा होता जा रहा था । नगर में जाकर सूचना देने में देर हो जाती, क्योंकि तब तक बाँध टूट सकता था, यह सोच कर लड़का स्वयं छेद वाली जगह में लेट गया । पूरी रात इसी तरह बीत गई । उधर लड़के के माता-पिता बहुत चिंतित थे। उन्हें डर था कि नदी के किनारे चलते हुए उन का लड़का नदी में न गिर गया हो । वे सुबह होते ही नदी के किनारे-किनारे चल पड़े । लड़के ने उन्हें देखा तो चिल्ला कर अपने पास बुलाया और पानी रोकने का इंतजाम करने को कहा। उसके माता-पिता ने नगर में जाकर इस बात की सूचना दी तो शीघ्र ही आवश्यक प्रबंध किए गए । बालक की इस वीरता और देशभक्ति पर सरकार ने उसे सम्मानित किया। यही बालक आगे चलकर फ्रांस का राष्ट्रपति बना । इस देशभक्त का नाम था - नेपोलियन ।
5 टिप्पणियां:
प्रेरक कथा. आभार!!
बहुत बार पढने पर भी हर बार प्रेरणा देती है ये कथा....
yehi ghatana aaruni ki bhi h. Aap uska varnana karte to aur achchha lagta. Bharat ne gyan banta logo ne use kiya. bharat ne kitabo ko sambhal kar rakha kyonki yaha deemak ka dar h. Suraksha nahi kahi rat na kha jaye.
So sanskriti ka dhayana kare.
आचार्य जी
आपने बहुत सही कहा । हमारा भारत विश्व गुरु है ।
वस्तुतः ये एक प्रेरक प्रसंग की बात है अन्यथा मैं स्वयं देश और संस्कृति का सम्मान करता हूं । जिसका आभास आपको मेरा ब्लाग www.amansandesh.blogspot.com पढने से हो जायेगा । मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।
काश! सब देशवासी ऐसी कथाओं से सीख लें। प्रेरणा के लिये आभार।
एक टिप्पणी भेजें