शनिवार, 17 अक्टूबर 2009

गौरव

दीवाली की शुभकामनाओं के साथ एक प्रस्तुति -
हाकी के दिवंगत जादूगर ध्यानचंद ने एक बार हिटलर के सामने अपनी बेहतरीन खेल कला का प्रदर्शन किया तो उसे खुश हो कर हिटलर ने उनके समक्ष प्रस्ताव रखा कि यदि वह जर्मनी की टीम में शामिल हो जाए तो उन्हें कप्तान बना दिया जाएगा ।
हिटलर ने प्रस्ताव को नकारते हुए ध्यानचंद ने जवाब दिया,'' मैं अपने देश की टीम में एक साधारण खिलाड़ी की हैसियत से खेलना ज्यादा सम्मान जनक मानता हूं । दूसरे देश की टीम का कप्तान बन कर मुझे संतोष और गौरव नहीं मिल सकता ।'' यह सुन कर हिटलर अवाक रह गया ।

7 टिप्‍पणियां:

संजय तिवारी ने कहा…

वाह!!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

सादर

-समीर लाल 'समीर'

संजय तिवारी ने कहा…

समीर जी से आई बधाई ही आपको भेज भावना पहुँचाई है. :)

Udan Tashtari ने कहा…

ये लो..संजय दे गये हमारी बधाई. इसे ही हमारी भी मानो. :)

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सच में ऐसे देशभगत के आगे नतमस्तक हैं।बहुत प्रेरक पोस्ट।
शुभ दीपावली।

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

badhiyaa likhte hain aap.

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

badhiyaa likhte hain aap........
or likhiye.
thanks.
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
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