महात्मा बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे । तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मार कर आम गिराने लगा । एक पत्थर बुद्ध के सिर पर लगा और सिर से खून बहने लगा । बुद्ध की आंखों में आंसू आ गए । बच्चों ने भयभीत होकर बुद्ध के चरण पकड़ लिए और क्षमायाचना करने लगे ।
बुद्ध ने कहा, ''बच्चों , मैं इसलिए दुःखी हूं कि तुम ने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें केवल भय ही दे सका ।''
बुद्ध ने कहा, ''बच्चों , मैं इसलिए दुःखी हूं कि तुम ने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें केवल भय ही दे सका ।''
2 टिप्पणियां:
प्रेरणादायी!!
bahut badhiyaa.
mujhe pasand aayi aapki yeh prernaa.
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