इंग्लैण्ड के एक मंत्री के निवास पर एक सिपाही रात को गश्त लगा रहा था । मंत्री की पत्नी को उसके जूतों की आवाज के कारण नींद नहीं आ रही थी । आखिर, उन्होंने अपने पति से इसकी शिकायत की । मंत्री ने सिपाही को बुला कर कहा, ''कोठी के सामने गश्त मत लगाओ, नींद में बाधा पड़ती है ।'' सिपाही ने जवाब दिया, ''लेकिन मेरे अफसर ने मुझे यही आज्ञा दी है ।''
''क्या तुम मेरी भी नहीं मानोगे ?'' सिपाही ने इन्कार कर दिया । अगले दिन सिपाही ने यह सोच कर अपना सामान बांध लिया कि अब उसकी नौकरी नहीं रहेगी । लेकिन तब उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसके अफसर ने आ कर सूचना दी कि मंत्री महोदय ने उसकी तरक्की के लिए सिफारिश की है ।
''क्या तुम मेरी भी नहीं मानोगे ?'' सिपाही ने इन्कार कर दिया । अगले दिन सिपाही ने यह सोच कर अपना सामान बांध लिया कि अब उसकी नौकरी नहीं रहेगी । लेकिन तब उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसके अफसर ने आ कर सूचना दी कि मंत्री महोदय ने उसकी तरक्की के लिए सिफारिश की है ।
5 टिप्पणियां:
aajkal to kya pata joote maar kar nikaal diya jaata...achcha prasang
किताबी बातें हैं दोस्त। वरना तो आजकल सुबह का भी इंतजार नहीं किया जाता। आदेश न मानने का नतीजा तत्काल सामने आ जाता है।
नरेश जी
आपकी बात से सहमत हूं। पर आप कैसे हैं,आप स्वयं क्या सोचते हैं? बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है। अतः अच्छा सोचते हैं। शेष तो जाकी जैसी रही भावना........।
bahut badhiyaa likhaa hain aapne.
mujhe pasand aaya.
achchhe log har jageh hote hain, jarurat hain to bas unhe or unki achchhaaiyou ko protsaahit karne ki.
thanks.
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बढिया प्रस्तुति! आपकी ये बात भी बिल्कुल सही है कि जीवन में बहुत कुछ सिर्फ हमारी अपनी सोच पर ही निर्भर करता है...
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