सोमवार, 31 जनवरी 2011

विनम्रता

एक बार अमरीका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन अपने दोस्त के साथ घोड़ा गाड़ी से कहीं जा रहे थे । रास्ते में एक मजदूर ने उन्हें थोड़ा झुक कर प्रणाम किया। उसके उत्तर में अब्राहम लिंकन ने उससे भी और ज्यादा झुक कर प्रणाम किया। यह देखकर उनके मित्र ने उनसे पूछा, ''आप ने उस छोटे से मजदूर को इतना झुक कर प्रणाम क्यों किया ?'' अब्राहम लिंकन ने जवाब दिया, ''मैं नहीं चाहता कि विनम्रता में कोई मुझ से आगे निकल जाए ।'' यह सुन कर उनके मित्र का सिर श्रद्धा से झुक गया ।

रविवार, 23 जनवरी 2011

समर्पण

आज नेता जी का जन्म-दिन है। इस अवसर पर भारत मां के उस सपूत को हमारा नमन।
बात उस समय की है जब रंगून में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में भर्ती होने के लिए अपार भीड़ लगी थी । नेताजी ने एक मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहा, ''दोस्तों, आजादी बलिदान चाहती है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'' भीड़ चिल्ला उठी, ''नेताजी, आप के एक इशारे पर हम अपना तन मन धन भारत मां के चरणों में निछावर कर देंगे ।'''' ठीक है दोस्तों, आगे आइए और इस शपथपत्र पर हस्ताक्षर कीजिए।''भीड़ में आपाधपी मच गई । हर एक शपथपत्र पर पहले हस्ताक्षर कर नेताजी की नजरों में चढ़ना चाहता था । इससे पहले कि भीड़ में से कोई आगे बढ़ कर शपथपत्र पर अपने हस्ताक्षर करता, नेताजी की आवाज गूंजी, ''ठहरो, मुझे तुम्हारे खून के हस्ताक्षर चाहिए । जो आजादी के लिए सर्वस्व अर्पित करने का दंभ भरता हो वह अपने खून से हस्ताक्षर करे,''यह सुनकर भीड़ की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और लोग धीरे-धीरे खिसकने लगे । अचानक 17 लड़कियां आगे बढ़ीं और आनन-फानन में उन्होंने अपनी कमर से छुरियां निकालीं और अपनी उंगली काट कर शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन  
उस समय लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे । एक बार उन्होंने इलाहाबाद स्थित अपना निवास स्थान इसलिए खाली कर दिया क्योंकि मकान मालिक को उसकी आवश्यकता थी । उन्होंने किराए पर दूसरा मकान लेने के लिए आवेदन पत्र भरा ।
काफी समय हो गया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को मकान नहीं मिल सका | लाल बहादुर शास्त्री के मित्र ने अधिकारियों से पूछताछ की । अधिकारियों ने बताया, शास्त्री जी का कड़ा आदेश है कि जिस क्रम में उनका आवेदन पत्र दर्ज है । उसी क्रम के अनुसार मकान दिए जाएं । कोई पक्षपात न किया जाए। सच यह था कि 176 आवेदकों के नाम पहले दर्ज थे ।

बुधवार, 5 जनवरी 2011

सच्ची शिक्षा

उन दिनों अमरीका में दास प्रथा का चलन था । एक धनी व्यक्ति ने बेंकर नाम के मेहनती गुलाम को खरीदा । वह बेंकर के गुणों से संतुष्ट था । एक दिन बेंकर अपने मालिक के साथ उस जगह गया, जहां लोग जानवरों की तरह बिकते थे तभी बेंकर ने एक बूढ़े दास को खरीदने के लिए कहा । उस के आग्रह करने पर मालिक ने उसे खरीद लिया और घर ले गया ।
बेंकर प्रसन्न था । वह उस बूढ़े दास की खूब सेवाटहल करता था । मालिक द्वारा एक दिन इस विषय में पूछने पर बेंकर ने बताया कि यह दास उसका कोई संबंध नहीं है, न ही मित्र है, बल्कि उसका सब से बड़ा दुश्मन है। बचपन में इसी ने मुझे दास के रूप में बेच दिया था । बाद में खुद पकड़ा गया और दास बना लिया गया । मैंने उस दिन बाजार में इसे पहचान लिया था । मेरी मां ने मुझे बताया था कि अगर दुश्मन नंगा हो तो उस को कपड़े दो, भूखा हो तो खाना खिलाओ, प्यासा हो तो पानी पिलाओ, इसी कारण मैं इसकी सेवा करता हूं और अपनी मां को दी हुई शिक्षा पर चलता हूं । यह सुन कर मालिक ने बेंकर को गले लगा लिया और उसको आजाद कर दिया ।