आज नेता जी का जन्म-दिन है। इस अवसर पर भारत मां के उस सपूत को हमारा नमन।
बात उस समय की है जब रंगून में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में भर्ती होने के लिए अपार भीड़ लगी थी । नेताजी ने एक मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहा, ''दोस्तों, आजादी बलिदान चाहती है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'' भीड़ चिल्ला उठी, ''नेताजी, आप के एक इशारे पर हम अपना तन मन धन भारत मां के चरणों में निछावर कर देंगे ।'''' ठीक है दोस्तों, आगे आइए और इस शपथपत्र पर हस्ताक्षर कीजिए।''भीड़ में आपाधपी मच गई । हर एक शपथपत्र पर पहले हस्ताक्षर कर नेताजी की नजरों में चढ़ना चाहता था । इससे पहले कि भीड़ में से कोई आगे बढ़ कर शपथपत्र पर अपने हस्ताक्षर करता, नेताजी की आवाज गूंजी, ''ठहरो, मुझे तुम्हारे खून के हस्ताक्षर चाहिए । जो आजादी के लिए सर्वस्व अर्पित करने का दंभ भरता हो वह अपने खून से हस्ताक्षर करे,''यह सुनकर भीड़ की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और लोग धीरे-धीरे खिसकने लगे । अचानक 17 लड़कियां आगे बढ़ीं और आनन-फानन में उन्होंने अपनी कमर से छुरियां निकालीं और अपनी उंगली काट कर शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।
7 टिप्पणियां:
नेता जी को नमन,
आजादी की लडाई मे हम बहनो के बलिदान केा नजरअंदाज नही कर सकते,
अच्छा लेख, शुभकामनाये
आभार
प्रेरक प्रसंग ..
हमारा नमन उस सच्चे नायक, सच्चे नेताजी को।
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नेताजी ने एक मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहा, ''दोस्तों, आजादी बलिदान चाहती है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।''
@ इस नारे की पृष्ठभूमि जाने बिना इसमें निहित सही अर्थ तक नहीं पहुँचा जा सकता. इस नारे में स्वाधीनता को जीवित रखने का सन्देश है.
कुछ विषयांतर :
यदि कोई धार्मिक-प्रपंची तांत्रिक कहे कि "तुम मुझे बलि दो, मैं तुम्हें मोक्ष दूँगा अथवा मनोकामना पूर्ण करूँगा." तब इस नारे-पथ पर मूक जीवों की ह्त्या और अपने अबोध बच्चों की बलि देने वाले आस्तिक स्वार्थी ही कहे जायेंगे.
नेताजी की स्मृति को मेरा नमन.
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mera neta ji ko naman
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अच्छा प्रसंग | नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके जन्म दिवस पर मेरा नमन |
bahu badiyaa prasang hi netaaji ko naman
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