रविवार, 13 फ़रवरी 2011

कर्त्तव्य

साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के गांव दौलतपुर ;जिला रायबरेली में एक मकान की दीवार बहुत कमजोर हो गई थी और किसी भी समय गिर सकती थी । उन्होंने जिलाधिकारी को लिखकर बताया कि उस मकान की दीवार किसी भी समय गिर सकती है, जिससे गुजरने वालों के प्राण भी जा सकते हैं । 
जिलाधिकारी की आज्ञा से एक अधिकारी गांव पहुंचा । स्थिति की जांच कर के उसने पाया कि द्विवेदी जी की आशंका का कोई ठोस आधार नहीं है । उसने कहा, ''द्विवेदी जी, आप की शंका हमारी समझ में नहीं आई । यदि दीवार को गिरना होगा तो गिर जाएगी । उसके गंभीर परिणाम क्या हो सकते हैं ?'' इस पर द्विवेदी जी मुस्कराए और उसे अधिकारी से बोले, ''आप ठीक कहते हैं। बस, इतनी सी बात आप एक कागज पर लिख कर मुझे दे दीजिए कि इस दीवार के गिरने से यदि किसी व्यक्ति की जान चली गई तो उसकी जिम्मेदारी आपकी होगी।'' यह सुनकर अधिकारी निरूत्तर हो गया और उसने तुरंत उस दीवार को गिराने का आदेश दे दिया ।

7 टिप्‍पणियां:

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

व्यवस्था के कर्णधारों के लिये आम आदमी की जान कोई गंभीर चीज नहीं।

deepti sharma ने कहा…

sahi bat kahi dwevedi ji ne

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

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मुझे देसी उदाहरण सदा से पसंद रहे हैं.
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एक चुटकी :
गाँव का नाम 'दौलतपुर'
लेकिन एक दीवार तक की मरम्मत खुद नहीं करा सकता !

दूसरी चुटकी :
गिरती दीवार सही कराना ...MPD के बस की नहीं है तो MCD से कह दिया.
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MPD मतलब महावीर प्रसाद द्विवेदी
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गुरुवर दिनेश जी,
"आपके पिछली पोस्ट के उत्तर ने मुझे निरुत्तर कर दिया था."
यहाँ आपसे बात करने का बहाना मिल जाता है. ..... हमेशा इतना ही उद्देश्य रहता है.

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anshumala ने कहा…

अब तो सरकारी कर्मचारी मुआयना करने ही गांव में नहीं आयेंगे या कोई इस बात की फिक्र ही नहीं करेगा जो दीवार को देखेगा बस उससे बच कर खुद निकल जायेगा |

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

हमारे सिस्टम की हकीकत बयां करती है यह आपकी यह पोस्ट

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया !
प्रभाव छोड़ने में कामयाब ! शुभकामनायें !!

ZEAL ने कहा…

बहुत ही प्रेरणादायी प्रसंग का उल्लेख किया है आपने ।