यह घटना इंडोनेशिया की है । एक स्कूल का छात्र एक दिन अचानक हठ कर बैठा कि आज से मैं स्कूल नहीं जाऊंगा । पिता ने बड़े प्यार से कारण पूछा तो उस ने कहा, ''इस नए स्कूल में लड़के मेरा मजाक उड़ाते हैं।'' पिता ने कहा, ''इस में कौन सी नई बात है, कुछ समय बाद वे तुम से घुलमिल जाएंगे और तुम्हारे मित्र बन जाएंगे।'' ''कुछ भी हो, मैं स्कूल नहीं जाऊंगा, कह कर लड़के ने किताबें पटक दी ।'' मां-बाप ने लाख समझाया, लेकिन लड़का अपनी जिद पर अड़ा रहा। पिता ने अपने एक मित्र को यह समस्या बताई तो वह मित्र उस लड़के को एक पानी के झरने के पास ले गए । उन्होंने एक बड़ा सा पत्थर पानी के बीच में फेंक दिया और कहा कि यह पत्थर पानी के बहाव में रूकावट डाल देगा | कुछ क्षणों के लिए पानी का वेग रूक गया, लेकिन फिर थोड़ी ही देर में वह अपनी गति से बहने लगा । वह पत्थर पानी में डूब गया ।
इस पर वह लड़के से बोला, ''बेटा, किसी भी प्रकार की रूकावट या बाधओं से नहीं घबराना चाहिए । देखो, पानी भी रूकावट पर विजय पा कर पहले की तरह बह रहा है। फिर तुम मनुष्य होकर बाधाओं से क्यों घबराते हो ?'' लड़के ने अगले दिन से स्कूल जाना प्रारम्भ कर दिया । कुछ दिनों में उसके सहपाठी उसके मित्र बन गए और बाद में स्वतंत्रता संग्राम में उसके अनुयायी बने । यह लड़का और कोई नहीं, बल्कि इंडोनेशिया के भूतपूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो थे । इंडोनेशिया को आजाद कराने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा ।
इस पर वह लड़के से बोला, ''बेटा, किसी भी प्रकार की रूकावट या बाधओं से नहीं घबराना चाहिए । देखो, पानी भी रूकावट पर विजय पा कर पहले की तरह बह रहा है। फिर तुम मनुष्य होकर बाधाओं से क्यों घबराते हो ?'' लड़के ने अगले दिन से स्कूल जाना प्रारम्भ कर दिया । कुछ दिनों में उसके सहपाठी उसके मित्र बन गए और बाद में स्वतंत्रता संग्राम में उसके अनुयायी बने । यह लड़का और कोई नहीं, बल्कि इंडोनेशिया के भूतपूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो थे । इंडोनेशिया को आजाद कराने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा ।