सोमवार, 17 मई 2010

कर्णधार

एक बार पंडित नेहरू से मिलने के लिए एक देश का राजदूत, एक सैनिक और एक नवयुवक आया । उन्होंने सचिव से कहा कि वह पहले नवयुवक, फिर सैनिक और सब से आखिर में राजदूत को भेजें। जब वे तीनों मिलकर चले गए । तब सचिव ने पंडित नेहरू से पूछा, ''आपने राजदूत और सैनिक से पहले नवयुवक को क्यों बुलाया, जबकि नवयुवक से पहले उन दोनों ने अनुमति मांगी थी ?'' नेहरू जी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, नवयुवक ही देश के कर्णधार हैं। वही बड़े होकर सैनिक बनेंगे और वही युवक विदेशों से संबंध बनाएंगे । चूंकि दो देशों के बीच संबंध उनके नागरिकों की भावनाओं के आधार पर बनते हैं । इसलिए मैंने युवक को राजदूत और सैनिक से पहले बुलाया ।''

4 टिप्‍पणियां:

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

अनुकरणीय दृष्टान्त....
अच्छा लगा ..
धन्यवाद..!!

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया वृतांत!

honesty project democracy ने कहा…

बढ़िया उदाहरण ,लेकिन आज तो इमानदार नवयुवक को ये भ्रष्ट नेता और मंत्री अछूत और अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं /

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

nehru ji ko badnaam karne waalo tak ye baat pahunchaai jaani chaahiye.
thanks.
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