गांधीवादी नेता आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी ट्रेन में सफर कर रहे थे, उसमें एक महिला व एक पुरुष यात्री भी था । वे आचार्य कृपलानी को नहीं पहचानते थे । बातों ही बातों में उन्होंने उनसे पूछा, ''आप किस जाति के हैं?'' प्रश्न सुनकर कृपलानी तत्काल बोले, '' मैं तो कई जातियों का हूं।'' यह सुन कर लोग आश्चर्य में पड़ गए । एक बोला, ''वह कैसे?'' इस पर आचार्य कृपलानी बोले, ''जब मैं सुबह अपना जूता साफ करता हूं तब शूद्र हो जाता हूं, महाविद्यालय में पढ़ाने जाता हूं तो ब्राह्मण हो जाता हूं, वेतन का हिसाब करता हूं तो बनिया हो जाता हूं । अब आप ही बताइए मेरी क्या जाति है?'' आचार्य कृपलानी का यह उत्तर सुन कर उन यात्रियों को लज्जित हो जाना पड़ा ।
1 टिप्पणी:
bahut badhiyaa likhaa hain aapne.
mujhe pasand aayaa.
waise sachchaai yhi hain ki-hindustaan ko jaatiwaad se jyada koi nuksaan nahi pahunchaa raha hain.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
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