स्वामी दयानंद का एक शिष्य नाई था । एक बार वह स्वामी दयानंद के लिए अपने घर से भोजन लाया । स्वामी दयानंद ने उसे बड़े चाव से खा लिया। उनका दूसरा शिष्य उस घटना को देख रहा था । उसने स्वामी दयानंद से कहा,'' स्वामी जी, आप ने यह क्या किया ? आपने आज नाई की रोटी खा ली ।'' इस बात पर स्वामी दयानंद खिलखिला कर हँसने लगे । शिष्य बोला,''महाराज, क्षमा करें । यदि कोई धृष्टता गई हो क्षमा करें |'' स्वामी दयानंद बोले, ''वत्स, रोटी तो गेहूं की थी, नाई की नहीं।'' यह सुन कर शिष्य निरुतर हो गया|
2 टिप्पणियां:
सही कहा रोटी तो गेंहूं की ही थी । अच्छी लघुकथा ।
achchhi seekh di hain aapne.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
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