यह घटना उन दिनों की है, जब लालबहादुर शास्त्री हमारे प्रधानमन्त्री थे । एक दिन वह अपनी पत्नी ललिता शास्त्री के साथ एक साड़ी के कारखाने का दौरा करने गए । उनकी पत्नी को कुछ साड़ियां पंसद आईं । शास्त्री जी ने उन्हें बांधने को कहा और पैसे देने लगे । लेकिन मालिक ने पैसे लेने से इन्कार कर दिया । तब शास्त्री जी ने कहा, ''आज मैं प्रधानमंत्री हूं, इसलिए मुझे इतनी मूल्यवान साड़ियां मुफ्त में दे रहे हो, लेकिन जब मैं प्रधानमंत्री नहीं रहूंगा, तब भी क्या ऐसी साड़ियां आप मुझे मुफ्त दे सकेंगे?'' यह सुन कर मिल मालिक कुछ न बोल सका । उसने चुपचाप पैसे ले लिए ।
2 टिप्पणियां:
shashtri ji ke jeevan ke na jaane kitne prasang hamare liye perna ka srot ban sakte hai.
desh ke annay pradhaan-mantri jitne mashoor/famous hain, utne shaashtri ji nahi hain.
yahi desh kaa durbhaagya hain, shashtri ji se jyada mahaan-prernaadaayi p.m.koi naa tha, naa hain, or (shaayad) hogaa bhi nahi.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
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