बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

उत्तम

देश के सुप्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर को बनावटीपन बिल्कुल पंसद नहीं था। जो चीज सीधी और सरल होती थी, उन्हें अच्छी लगती थी । एक बार उनकी पुत्री की शादी हुई । विदाई के समय उसे बिना साज श्रृंगार के ले जाने लगे । उनके संबंधी उनकी निन्दा करने लगे । इस पर उन्होंने सरलता से उत्तर दिया,''जिस सम्मान को पाने के लिए अच्छी वेशभूषा होना जरूरी हो, उस सम्मान को न पाना ही उत्तम है।''


2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस वृतांत को लाने का.

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

bahut badhiyaa,
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com