उस समय लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे । एक बार उन्होंने इलाहाबाद स्थित अपना निवास स्थान इसलिए खाली कर दिया क्योंकि मकान मालिक को उसकी आवश्यकता थी । उन्होंने किराए पर दूसरा मकान लेने के लिए आवेदन पत्र भरा। काफी समय हो गया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को मकान नहीं मिल सका। लाल बहादुर शास्त्री के मित्रों ने अधिकारियों से पूछताछ की । अधिकारियों ने बताया,''शास्त्री जी का कड़ा आदेश है कि जिस क्रम में उनका आवेदन पत्र दर्ज है । उसी क्रम के अनुसार मकान दिए जाएं । कोई पक्षपात न किया जाए। '' यह सच था और उनसे पहले 176 आवेदकों के नाम दर्ज थे ।
6 टिप्पणियां:
इसीलिये श्रद्धेय की मृत्यु किन हालातों में हुई, आज भी भारत सरकार नहीं बताना चाहती.
मेरे तो सबसे प्रिय नेता हैं । उन जैसा दूसरा आज तक कोई नही दिखा।
soochnaa ke adhikaar ke tahat inki mrityu ke rahassyon par se pardaa uthaayaa jaanaa chaahiye.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
कहां गये वे लोग ?
tabhi to mahan hai..
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! महान व्यक्ति के चले जाने का दुःख हम सबको है पर अफ़सोस इस बात का है की उनके जैसा इंसान फिर से जन्म नहीं ले सकता!
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