एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरीका की यात्रा से स्वदेश लौट रहे थे। उनके प्रशंसक बंदरगाह पर उनका इंतजार कर रहे थे। जैसे ही स्वामी जी बंदरगाह पर उतरे तो उतरते ही वे रज में लोटने लगे। उनके प्रशंसकों ने उन्हें मिट्टी में इस प्रकार लोटते हुए देखा तो वे हैरान रह गए। बाद में जब उन्होंने स्वामी जी से इस संदर्भ में पूछा तो वे बोले,‘‘ मैं पिछले दिनों विदेश में था और अशुद्ध हो गया था इसलिए मातृभूमि की रज में लोट कर शुद्ध हो रहा था।’’
4 टिप्पणियां:
क्या बात है , बहुत ही प्रेरणादायक लगी ।
अच्छा लगा पढ़कर!
प्रेरणादायक प्रसंग
shuddh hone kaa yh tareekaa mujhe pasand aayaa.
thanks.
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