रविवार, 7 फ़रवरी 2010

पक्षपात

उस समय लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे एक बार उन्होंने इलाहाबाद स्थित अपना निवास स्थान इसलिए खाली कर दिया क्योंकि मकान मालिक को उसकी आवश्यकता थी उन्होंने किराए पर दूसरा मकान लेने के लिए आवेदन पत्र भरा। काफी समय हो गया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को मकान नहीं मिल सका। लाल बहादुर शास्त्री के मित्रों ने अधिकारियों से पूछताछ की अधिकारियों ने बताया,''शास्त्री जी का कड़ा आदेश है कि जिस क्रम में उनका आवेदन पत्र दर्ज है उसी क्रम के अनुसार मकान दिए जाएं कोई पक्षपात किया जाए। '' यह सच था और उनसे पहले 176 आवेदकों के नाम दर्ज थे

6 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

इसीलिये श्रद्धेय की मृत्यु किन हालातों में हुई, आज भी भारत सरकार नहीं बताना चाहती.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

मेरे तो सबसे प्रिय नेता हैं । उन जैसा दूसरा आज तक कोई नही दिखा।

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

soochnaa ke adhikaar ke tahat inki mrityu ke rahassyon par se pardaa uthaayaa jaanaa chaahiye.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com

Asha Joglekar ने कहा…

कहां गये वे लोग ?

Parul kanani ने कहा…

tabhi to mahan hai..

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! महान व्यक्ति के चले जाने का दुःख हम सबको है पर अफ़सोस इस बात का है की उनके जैसा इंसान फिर से जन्म नहीं ले सकता!