होली पर विशेष
होली का दिन था । लाल बहादुर शास्त्री जी के निवास पर होली मनाने के लिए अनेक लोग आए थे।सब ओर प्रसन्नता का माहौल था । शास्त्री जी सभी से बडे़ स्नेह से मिल रहे थे। इस भीड़-भाड़ से कुछ दूर एक कोने में उनका जमादार भी हाथ में गुलाल लिए खडा़ था पर आगे बढकर शास्त्री जी को गुलाल लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी । सभी लोग उसकी तरफ उपेक्षा की नज़र से देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वह निराश होकर हीन भावना के साथ वापस लौटने लगा तो तभी शास्त्री जी की नज़र उस पर पड़ी । वे लपक कर उस ओर गए और उसे रोककर बोले,''अरे कहां जा रहे हो? होली पर तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दिया जायेगा।'' ऎसा कह उन्होंने हाथ में लिया हुआ सारा गुलाल उसके गालों पर मल दिया ।
रंगोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं ।
होली का दिन था । लाल बहादुर शास्त्री जी के निवास पर होली मनाने के लिए अनेक लोग आए थे।सब ओर प्रसन्नता का माहौल था । शास्त्री जी सभी से बडे़ स्नेह से मिल रहे थे। इस भीड़-भाड़ से कुछ दूर एक कोने में उनका जमादार भी हाथ में गुलाल लिए खडा़ था पर आगे बढकर शास्त्री जी को गुलाल लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी । सभी लोग उसकी तरफ उपेक्षा की नज़र से देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वह निराश होकर हीन भावना के साथ वापस लौटने लगा तो तभी शास्त्री जी की नज़र उस पर पड़ी । वे लपक कर उस ओर गए और उसे रोककर बोले,''अरे कहां जा रहे हो? होली पर तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दिया जायेगा।'' ऎसा कह उन्होंने हाथ में लिया हुआ सारा गुलाल उसके गालों पर मल दिया ।
रंगोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं ।