रूस के एक वायुयान इंजीनियर की पहले महायुद्ध में एक टांग कट गई थी। दूसरे महायुद्ध के दौरान वह अस्पतालों में घायलों को देखने पहुंचे । उन्होंने मरीजों को हौंसले बनाए रखने के लिए कहा, ''नकली टांग का फायदा यह है कि चोट लगने पर महसूस नहीं होती ।''
यह सुनकर उन्होंने अपना बेंत एक आदमी को दे कर कहा कि इसे जोर से मेरी टांग पर मारो । उसने बहुत जोर से बेंत मारी, इंजीनियर ने हंसते हुए कहा,'' देखो, मुझे कोई असर नहीं हुआ।'' इस पर सब हंस पड़े । कमरे से बाहर निकलते ही उनके मुख पर पीड़ा के चिन्ह उभर आए । उनके साथी अफसर ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा, ''उसने गलत टांग पर बेंत मार दिया था।''
यह सुनकर उन्होंने अपना बेंत एक आदमी को दे कर कहा कि इसे जोर से मेरी टांग पर मारो । उसने बहुत जोर से बेंत मारी, इंजीनियर ने हंसते हुए कहा,'' देखो, मुझे कोई असर नहीं हुआ।'' इस पर सब हंस पड़े । कमरे से बाहर निकलते ही उनके मुख पर पीड़ा के चिन्ह उभर आए । उनके साथी अफसर ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा, ''उसने गलत टांग पर बेंत मार दिया था।''
5 टिप्पणियां:
ये होता है मनोबल बढ़ाना!! बहुत प्रेरक कथा!
AABHAAR.
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bahut achche..... wah bhai wah...
dil wo koi dil nahin hai
gham jise haasil nahin hai
thaan le jo apne dil mein
kaam kuchch mushkil nahin hai
gulshan madaan
क्या बात है, सचमुच प्रेरक ।
bahut sundar aur prernadayee hai aapkee ye prastutiyan
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