गुरुवार, 28 जनवरी 2010

विद्वता

एक बार स्वामी विवेकानंद काशी में थे । वहां उनकी विद्वता की चर्चा बहुत फैल गई थी । अनेक लोगों ने उनसे अनेक कठिन प्रश्न किए थे । जिन का जवाब उन्होंने ऐसा दिया कि सब ने उनकी विद्वता का लोहा मान लिया था। एक दिन एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, ''संत कबीर दास जी ने दाढ़ी क्यों रखी थी।'' स्वामी जी ने उत्तर दिया, ''भाई, अगर वह दाढ़ी नहीं रखते तो आप पूछते कि कबीर दास जी ने दाढ़ी क्यों नहीं रखी ।'' यह जवाब सुनकर वह व्यक्ति लज्जित होकर चुपचाप वहां से खिसक गया ।

2 टिप्‍पणियां:

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

aksar vidvaan logo ko aise bewkoof logo kaa saamnaa karnaa pad hi jaataa hain.
badhiyaa likha.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ। भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।