रविवार, 28 फ़रवरी 2010

गुलाल ऎसे लगाते हैं

होली पर विशेष
होली का दिन था लाल बहादुर शास्त्री जी के निवास पर होली मनाने के लिए अनेक लोग आए थे।सब ओर प्रसन्नता का माहौल था शास्त्री जी सभी से बडे़ स्नेह से मिल रहे थे। इस भीड़-भाड़ से कुछ दूर एक कोने में उनका जमादार भी हाथ में गुलाल लिए खडा़ था पर आगे बढकर शास्त्री जी को गुलाल लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी । सभी लोग उसकी तरफ उपेक्षा की नज़र से देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वह निराश होकर हीन भावना के साथ वापस लौटने लगा तो तभी शास्त्री जी की नज़र उस पर पड़ी । वे लपक कर उस ओर गए और उसे रोककर बोले,''अरे कहां जा रहे हो? होली पर तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दिया जायेगा।'' ऎसा कह उन्होंने हाथ में लिया हुआ सारा गुलाल उसके गालों पर मल दिया ।
रंगोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं

2 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ।

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

kaash shaashtri ji aaj hote!!!!!!
happy holi to you ji.
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