शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

फल

महात्मा बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे । तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मार कर आम गिराने लगा । एक पत्थर बुद्ध के सिर पर लगा और सिर से खून बहने लगा । बुद्ध की आंखों में आंसू आ गए । बच्चों ने भयभीत होकर बुद्ध के चरण पकड़ लिए और क्षमायाचना करने लगे ।
बुद्ध ने कहा, ''बच्चों , मैं इसलिए दुःखी हूं कि तुम ने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें केवल भय ही दे सका ।''

शनिवार, 14 नवंबर 2009

अपराध

मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर अंग्रेजों की कैद में अपने जीवन के अंतिम दिन बड़े कष्ट से बिता रहे थे । एक बार एक व्यक्ति उनसे मिलने आया। उसने बादशाह से कहा, ''आप को जो कष्ट दिए जा रहे हैं, आप उसकी शिकायत क्यों नहीं करते ?''
उन्होंने दुःख भरे स्वर में जवाब दिया, '' मेरी यही सजा है क्योंकि बादशाह होने के नाते में देश का पहरेदार था । फिर भी मैं आराम की नींद सोता रहा । समय रहते न तो मैं जागा और न ही दुश्मन को ललकारा, इससे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है ?''

सोमवार, 2 नवंबर 2009

संस्कार

रामकृष्ण परमहंस अपने लोटे को प्रतिदिन मांजते थे । यह देख कर उनका एक शिष्य मन ही मन सोचता था कि इस तरह लोटा मांजने का अर्थ क्या हैं? आखिरकार जब उस से नहीं रहा गया तो वह उनसे पूछ बैठा । रामकृष्ण परमहंस ने से जवाब में हंस कर कहा,''याद रखो कि हमें अपने अंतर्मन को भी इसी तरह मांजना है । यह लोटा कितना ही साफ क्यों न हो, यदि इसे प्रतिदिन मांजा न जाए तो यह मैला हो जाएगा । इसी तरह बुरे संस्कारों में पड़ कर हमारा मन दूषित न हो जाए इसके लिए भी हमें निरन्तर अच्छे संस्कारों से उसे मांजना चाहिए ताकि बुराई का मैल उसे गंदा न कर सके।''