गुरुवार, 27 नवंबर 2014

निंदा और प्रशंसा

एक  नगर  में  एक  मशहूर  चित्रकार  रहता था ।  चित्रकार  ने  एक  बहुत  सुन्दर तस्वीर  बनाई और उसे  नगर  के  चौराहे  मे  लगा  दिया  और   नीचे  लिख  दिया  कि  जिस किसी  को , जहाँ  भी   इस में  कमी  नजर  आये  वह  वहाँ  निशान  लगा  दे । जब  उसने  शाम  को  तस्वीर देखी   उसकी  पूरी  तस्वीर  पर  निशानों  से  ख़राब  हो  चुकी थी । यह  देख  वह  बहुत  दुखी  हुआ । उसे कुछ  समझ  नहीं  आ  रहा  था  कि  अब  क्या  करे  वह  दुःखी  बैठा  हुआ  था  ।  तभी  उसका एक मित्र  वहाँ  से  गुजरा  उसने  उस  के  दुःखी होने  का  कारण  पूछा  तो  उसने  उसे  पूरी  घटना बताई ।  उसने कहा  एक  काम  करो कल दूसरी  तस्वीर  बनाना  और  उस मे  लिखना  कि जिस  किसी  को  इस  तस्वीर  मे जहाँ  कहीं  भी कोई  कमी  नजर  आये  उसे  सही  कर  दे  ।   उसने  अगले  दिन  यही  किया  ।  शाम  को  जब उसने  अपनी  तस्वीर  देखी  तो  उसने  देखा  की  तस्वीर  पर  किसी  ने  कुछ  नहीं  किया । वह  संसार  की  रीति  समझ गया । "कमी  निकालना ,  निंदा  करना ,   बुराई  करना आसान ,   लेकिन  उन  कमियों  को  दूर  करना  अत्यंत  कठिन  होता  है "|

शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

बोधपाठ

 इंग्लैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य शो रूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए। शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के अलावा अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के महाराजा कुछ मोटर कार खरीदने
चाहते हैं। कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में और अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक
शोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया। भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि हर कार का उपयोग (उस समय के दौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्य में कचरा उठाने के लिए किया जाए। विश्व की अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लास रोल्स रॉयस कार नगरपालिका के लिए कचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने के समाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्स रॉयस की इज्जत तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्ति अगर ये कहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” है तो सामने वाला पूछता “कौनसी?” वही जो भारत में कचरा उठाने के काम आती है! वही?
बदनामी के कारण और कारों की बिक्री में एकदम कमी आने से रोल्स रॉयस कम्पनी के मालिकों को बहुत नुकसान होने लगा। महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुए टेलिग्राम भेजे और अनुरोध किया कि रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द करवावें। माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कार बिना मूल्य देने के
लिए भी तैयार हो गए। महाराजा जयसिंह जी को जब पक्का विश्वास हो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठ मिल गया है तो महाराजा ने उन कारों से कचरा उठवाना बन्द करवाया !