रविवार, 28 फ़रवरी 2010

गुलाल ऎसे लगाते हैं

होली पर विशेष
होली का दिन था लाल बहादुर शास्त्री जी के निवास पर होली मनाने के लिए अनेक लोग आए थे।सब ओर प्रसन्नता का माहौल था शास्त्री जी सभी से बडे़ स्नेह से मिल रहे थे। इस भीड़-भाड़ से कुछ दूर एक कोने में उनका जमादार भी हाथ में गुलाल लिए खडा़ था पर आगे बढकर शास्त्री जी को गुलाल लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी । सभी लोग उसकी तरफ उपेक्षा की नज़र से देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वह निराश होकर हीन भावना के साथ वापस लौटने लगा तो तभी शास्त्री जी की नज़र उस पर पड़ी । वे लपक कर उस ओर गए और उसे रोककर बोले,''अरे कहां जा रहे हो? होली पर तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दिया जायेगा।'' ऎसा कह उन्होंने हाथ में लिया हुआ सारा गुलाल उसके गालों पर मल दिया ।
रंगोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

शुद्धता

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरीका की यात्रा से स्वदेश लौट रहे थे। उनके प्रशंसक बंदरगाह पर उनका इंतजार कर रहे थे। जैसे ही स्वामी जी बंदरगाह पर उतरे तो उतरते ही वे रज में लोटने लगे। उनके प्रशंसकों ने उन्हें मिट्टी में इस प्रकार लोटते हुए देखा तो वे हैरान रह गए। बाद में जब उन्होंने स्वामी जी से इस संदर्भ में पूछा तो वे बोले,‘‘ मैं पिछले दिनों विदेश में था और अशुद्ध हो गया था इसलिए मातृभूमि की रज में लोट कर शुद्ध हो रहा था।’’

शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

शिक्षा

एक बार एक लड़का स्कूल से शिक्षक का एक पत्र आया, जिसमें लिखा था ‘आप का बेटा मंद बुद्धि है । इसे पढ़ाना व्यर्थ है । अच्छा होगा कि आप इसे स्कूल से हटा लें ।’ मां ने यह पत्र पढ़ा । उसकी आंखों में आंसू आ गए । फिर भी उसने अपने पुत्र के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा,''भले ही स्कूल वाले तुम्हें न पढ़ाएं, लेकिन मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी ।'' आखिरकार एक दिन मां की मेहनत रंग लाई और बड़ा होकर उसका बेटा विश्व का महान् वैज्ञानिक बना । उसका नाम था टामस अलवा एडीसन (1847-1931) जिस ने बल्ब का ही नहीं और भी सैकड़ों आविष्कार करके घर-घर में विज्ञान की रोशनी फैला दी ।

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

कर्त्तव्य-परायणता

बात उन दिनों की है, जब बगदाद में खलीफा उमर थे । वह जितने इन्साफ पसंद, नेक-दिल थे, उतने ही अनुशासन प्रिय और कर्त्तव्य-परायण भी । उन्होंने शराबियों की शराब की लत छुड़ाने के लिए घोषणा की, यदि कोई व्यक्ति शराब पीता हुआ या पीये हुए पकड़ा गया तो उसे भरे दरबार में 25 कोड़े लगाए जाऐंगे । यह सुन कर शराबी घबरा गए। उन्होंने इस ऐलान की सच्चाई जानने के लिए खलीफा के पुत्र को शराब पिला कर बाजार में छोड़ दिया । उसे तुरंत दरबार में पेश किया गया । दरबारियों के समझाने के बावजूद खलीफा ने आज्ञा दी, ''अपराधी की नंगी पीठ पर 25 कोड़े लगाए जाएं ।'' इतने कोड़े खाने पर उनका पुत्र बेहोश होकर गिर पड़ा और उसने वहीं दम तोड़ दिया।

रविवार, 7 फ़रवरी 2010

पक्षपात

उस समय लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे एक बार उन्होंने इलाहाबाद स्थित अपना निवास स्थान इसलिए खाली कर दिया क्योंकि मकान मालिक को उसकी आवश्यकता थी उन्होंने किराए पर दूसरा मकान लेने के लिए आवेदन पत्र भरा। काफी समय हो गया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को मकान नहीं मिल सका। लाल बहादुर शास्त्री के मित्रों ने अधिकारियों से पूछताछ की अधिकारियों ने बताया,''शास्त्री जी का कड़ा आदेश है कि जिस क्रम में उनका आवेदन पत्र दर्ज है उसी क्रम के अनुसार मकान दिए जाएं कोई पक्षपात किया जाए। '' यह सच था और उनसे पहले 176 आवेदकों के नाम दर्ज थे

बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

उत्तम

देश के सुप्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर को बनावटीपन बिल्कुल पंसद नहीं था। जो चीज सीधी और सरल होती थी, उन्हें अच्छी लगती थी । एक बार उनकी पुत्री की शादी हुई । विदाई के समय उसे बिना साज श्रृंगार के ले जाने लगे । उनके संबंधी उनकी निन्दा करने लगे । इस पर उन्होंने सरलता से उत्तर दिया,''जिस सम्मान को पाने के लिए अच्छी वेशभूषा होना जरूरी हो, उस सम्मान को न पाना ही उत्तम है।''